Self Composed Hindi Poem by Yatharth Rastogi of Seth Anandram Jaipuria School
माँ तुमने चलना हैं सिखाया,
हर मुश्किल से लड़ना है सिखाया,
तुमने माफ करना है ,सिखाया।
खुद से दूर तो किया,
पर दिल का टुकड़ा भी बनाया,
आपने हँसना है सिखाया,
हर चीजों का मतलब भी सिखाया ।
आपने मुझे पापा की डाँट से बचाया,
और पापा का फोन भी दिलाया,
मेरी हर जरूरत को पापा से कहकर पूरा भी कराया।
तूने चलना हैं सिखाया,
माँ तूने चलना हैं सिखाया,
मेरी हर छोटी छोटी खुशियों में शामिल हो जाती हैं,
और गम में मेरा साथ निभाती हैं,
गिरकर उठना है ,सिखाया|
यथार्थ रस्तोगी
आठवी ‘स’
स्वरचित कविता