हिंदी सप्ताह कार्यक्रम
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हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत सेठ आनंदराम जैपुरिया स्कूल ,लखनऊ में हिंदी सप्ताह कार्यकर्मो का आयोजन किया गया | कक्षा १ से ११वीं तक के बच्चो ने उत्साह से कार्यक्रम में अपनी मातृभाषा हिंदी के सम्मान को अपने दिल में धारण करते हुए विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया | कार्यक्रम में प्रतिदिन विभिन्न प्रार्थना सभाओ का आयोजन किया गया जिसमे विभिन्न मंत्रो और ज्ञान से मन ,मस्तिष्क और आत्मा को पोषित किया गया |
- कक्षा – १ के बच्चो ने जहाँ हिंदी कहानी पात्रों को कवर पृष्ठ पर बनाया ,वहीँ कक्षा -२ के छात्रों ने भारतीय बहुरूपी पोशाकों को धारण कर अपनी परिकल्पना पोशाक के बारे में बताया |
- कक्षा – ३ के बच्चों भारतीय महापुरुषों का भेष बनाकर उनके ओजपूर्ण नारों को उन्ही के अंदाज में बोलकर दिखाया | कक्षा – ४ के विद्यार्थियों ने कागज की कठपुतली बनाकर कई रोचक कहानियों को सुनाया |
- कक्षा – ५ ने हिंदी समाचार पत्र लेखन और प्रेषण बड़ी ही कुशलता से मातृभाषा हिंदी में करके दिखाया | कक्षा -६ ने तकनीकी का प्रयोग करके माइंडक्राफ्ट द्वारा अपनी पुस्तिका की कहानियो का विवरण दिया |
- कक्षा – ७ और ८ ने लिखा एक अखबार जिसमे महामारी और दूरगामी शिक्षा के लाभ और हानियो को बताया |
- कक्षा -९ ने हिंदी कविता से मंच को सजाया और समाचार सम्वादाता के रूप में हिंदी के महत्त्व को बताया |
- कक्षा – १० और ११ टेलीविजन कार्यक्रम प्रस्तुत करता की तरह वेद ,पुराण,नव रस , मुहावरे और लोकोक्ति के बारे में मनोरंजक ढंग से बताया |
प्रार्थना सभा के मुख्य विषय आनंद ,मंत्र ,संस्कार ,मातृभाषा महत्व और ध्यान रहे |
हिंदी पखवाड़े के अंतिम दिन एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया ,जिसमे हिंदी भाषा को सबसे सुंदर भाषा मानने वालीलेखिका और अनुवादिकाडॉ० टोमोकोकिकुची नेआकर हिंदी दिवस के इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई | मुख्य अतिथि के साथ विशिष्टजनों ने भी अपनी उपस्तिथि से हिंदी दिवस कार्यक्रम के वर्चुअल मंच को शुशोभित कर ,कार्यक्रम प्रस्तुत करने वालो का उत्साहवर्धन किया |
बच्चे एक के बाद एक उत्कृष्ट कार्यक्रमों से वर्चुअल मंच की माला में हिंदी के मोती पिरोते रहे | इन कार्यक्रमों ने हिंदी भाषा जीवन में नवप्राण फूंक दिए | सभी आनंदविभोर होकर उत्साह से तालियाँ बजाते रहे और कार्यक्रम अपने अंतिम पड़ाव तक पहुंचा |
अंत में मुख्य अतिथि ,विशिष्ट अतिथि तथा ,प्रधानाचार्या जी ने सभी के लिए आशीष वचन कहे |
डॉ० टोमोको किकुची ने कहा-“हमें हिंदी भाषा को विश्व मंच पर पहुँचाना है ,तो हम हिंदी भाषा-भाषियों को हिंदी भाषा को अपने संस्कारों की तरह ही ग्रहण करना होगा और इसके सम्मान को अपना कर्तव्य समझना होगा,अब हम तकनीकी के माध्यम से अन्य देशों से भी सम्पर्क कर सकते है | हम जब भी कभी किसी विदेशी से बात करें तो जाहिर है उसी भाषा में बात करेंगे जो वो समझ सकता है ,पर जब भी हमें मौका मिले हमें हिंदी भाषाका प्रयोग अवश्य करना चाहिए, क्यूंकि उस विदेशी लिए हिंदी उतनी ही जिज्ञासा का विषय है जितना की हमारे लिए अन्य भाषाएं और संस्कृति |”
हिंदी भाषा प्रेम के सन्देश दीपक को सभी के मन में प्रज्ज्वलित कर यह कार्यक्रम सभी का धन्यवाद करते हुए समाप्त हो गया |